इक रात दुखी मैं होके,
सो गया था रोते रोते,
सपने मे श्याम ने आकर,
कहा मुझको गले लगाकर,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है।।
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से।
श्याम धणी को देखा,
धीरज मैने खोया,
लिपट गया चरणों से,
फूट फूट कर रोया,
मुस्काकर होले होले,
मेरे आँसू पौंछे बोले,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है।।
श्याम कहे इक बार जो,
मेरी शरण मे आया,
हार नहीँ वो सकता,
तू काहे घबराया,
जिसको मैने अपनाया,
उस पर है मेरी छाया,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है।।
श्याम की बातें सुनकर,
भूल गया ग़म सारे,
ऐसा लगा कि मेरा,
फ़िर से जन्म हुआ रे,
किया श्याम की ओर इशारा,
‘सोनू’ ये दिल से पुकारा,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है।।
इक रात दुखी मैं होके,
सो गया था रोते रोते,
सपने मे श्याम ने आकर,
कहा मुझको गले लगाकर,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है,
मैं हूँ ना क्यू चिन्ता करता है,
मेरे होते क्यू डरता है।।
गायक – संजय अग्रवाल।
– भजन प्रेषक –
संजय शर्मा हिसार हरियाणा
9896373590