भगता रो रखवालो भगता रो मन मोई लेग्यो

भगता रो रखवालो,
भगता रो मन मोई लेग्यो,
रूणिचा रो वो धनियो,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।



अरे गांव रुनिचे रा धणिया,

थारी लीला जग में न्यारी,
अजमल जी रा कंवर लाडला,
मेना दे रा लाला,
रानी नेतल रा भरतार,
भगता रो मन मोई लेग्यो,
भगता रो रखवालों,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।



गूंगा दर पर बोल पड़े,

थारे लूला पाँव चले,
कोड़ी रो मिटावण व वालो,
भगता रो मन मोई लेग्यो,
भगता रो रखवालों,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।



भादवा री बीज ने थारे,

मेलो भरे हे भारी,
दूर दूर सु दरसण ने,
आवे नर और नारी,
दुखिया रो दुःख हरण वालो,
भगता रो मन मोई लेग्यो,
भगता रो रखवालों,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।



भगत धरम री आई हे बिनती,

सुनलो अर्जी मारी,
साँचा नाम री महिमा गाऊ,
मेटो कस्ट बिहारी,
बाबा धन्य धन्य.महिमा थारी,
भगता रो मन मोई लेग्यो,
भगता रो रखवालों,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।



भगता रो रखवालो,

भगता रो मन मोई लेग्यो,
रूणिचा रो वो धनियो,
भगता रो मन मोई लेग्यो।।

भजन गायक और लेखक – धर्मेंद्र तंवर।
उदयपुर। 9829202569


https://youtu.be/oAWD2NzZ4rk

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