एकला मत छोड़ जो बंजारा रे भजन लिरिक्स

एकला मत छोड़ जो बंजारा रे,
परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे,
दूर देश का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।

देखे – गठड़ी छोड़ चला बिणजारा।



अपना सायब जी ने,

बंगला बनाया रे,
बंगला बनाया बंजारा,
ऊपर रखियो झरोखा,
जामे झांक्या करो प्यारा रे,
एकला मत छोड़जो बंजारा रे,
परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।



अपना सायब जी ने,

बाग लगाया,
बाग लगाया बंजारा रे,
फूला भरी है छाबड़ी,
पाया करो प्यारा रे,
एकला मत छोड़जो बंजारा रे,
परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।



अपना सायब जी ने,

कुआँ खुदाया,
कुआँ खुदाया बंजारा रे,
गहरा भरया नीर वा,
नहाया करो प्यारा रे,
एकला मत छोड़जो बंजारा रे,
परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।



कहे कबीर धर्मदास से,

बंजारा रे बंजारा,
सत अमरापुर पावीया,
सौदा करो प्यारा रे,
एकला मत छोड़जो बंजारा रे,
परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।



एकला मत छोड़ जो बंजारा रे,

परदेस का है मामला,
खोटा हो जाना रे,
दूर देश का है मामला,
खोटा हो जाना रे।।

गायक – नरेश प्रजापत।
प्रेषक – हीरा लाल खारोल।
7742821120


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