माता श्रीयादे लिनो हरि नाम आवड़ा के पास खड़ी

माता श्रीयादे लिनो हरि नाम,
आवड़ा के पास खड़ी।।



कर में कुण्डल मन में किनो,

नारायण को ध्यान,
शक्ति प्रक्टी इस धरणी पे,
भक्त कोई महान,
या तो पुकारें दुःखियां रा बोल,
आवड़ा के पास खड़ी।।



शक्ति भक्ति श्रीयादे की,

ब्रह्माण्ड गुंजाया,
बैठी बैठी दानव नगरी,
धरती को डोलाया,
या तो जादुगिरी सिद्धेश्वर नार,
आवड़ा के पास खड़ी।।



कौन नारी गुप्त सती है,

जीभां दांता बीच,
खल बल मचगी ढ़ाणी मांही,
लागी मानव भीड़,
देखे देखे रे अचम्भा की बात,
आवड़ा के पास खड़ी।।



परच्यो दीनो श्रीया देवी,

भगत प्रहलाद ने,
लागी आगी आवड़ा में,
बिल्ली ने उबार ने,
मैया अंधारे जलाई ज्योत्,
आवड़ा के पास खड़ी।।



विष्णु पंथी ‘रतन’ मैया,

भजन उगावे,
महा शक्ति श्रीयादे की,
कथा भी रचावे,
थारा चरणां में करें मैया ध्यान,
आवड़ा के पास खड़ी।।



माता श्रीयादे लिनो हरि नाम,

आवड़ा के पास खड़ी।।

गायक व रचना – पं. रतनलाल प्रजापति।


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