म्हारी कुलदेवी ने घणा घणा ओलमा सा लिरिक्स

म्हारी कुलदेवी ने,
मारी जगदंबा ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



मारी कुलदेवी ने,

लाल चुनरिया सोवनी सा,
थे तो ओढ़नी चुनरिया,
हीरा मोल री सा,
मारी कुलदेवी ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



मारी कुलदेवी तो,

सिंह चढ़े ने आवती सा,
साते भैरू काला गोरा,
मैया लावती सा,
मारी कुलदेवी ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



मारी जगदंबा रे ढोल,

नगाड़ा बाजता सा,
सारी रात में मंदिरिए,
भोपा नाचता सा,
मारी कुलदेवी ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



मारी कुलदेवी विराजे,

उदयपुर में सा,
दर्शन कर लो रे भाईडा,
मंदिर जोर का सा,
मारी कुलदेवी ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



मारी कुलदेवी की गाथा,

धरम गावता सा,
थे तो राखो नी सरणा में,
वे तो आवता सा,
मारी कुलदेवी ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।



म्हारी कुलदेवी ने,

मारी जगदंबा ने,
घणा घणा ओलमा सा,
थे तो आवो नी पधारो,
म्हारे आंगणे सा।।

भजन गायक / लेखक – धर्मेंद्र तंवर।
9829202569


https://youtu.be/uPqwJ-Gg2jQ

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